वीर तेजाजी शोध केंद्र जोधपुर में होगा स्थापित। भगवान शिव के ग्यारहवें अवतार माने जाने वाले लोक देवता वीर तेजाजी के नाम पर भारत में पहली बार जोधपुर में शोध केंद्र की स्थापना की जाएगी। इस प्रस्ताव को हाल ही में जेएनवीयू की सिंडीकेट बैठक के अंतर्गत पारित किया गया है।
वीर तेजाजी महाराज को राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में वीर तेजाजी को लोक देवता और आराध्य देवता के रूप में माना जाता है।
वीर तेजाजी ने अपने जीवन में परिवार को जोखिम में डालकर निष्ठा, स्वतंत्रता, सच्चाई और सामाजिक सुधार आदि कार्यों से पहचान बनाई। शोध केंद्र के माध्यम से राजस्थान सरकार आज की युवा पीढ़ी के द्वारा वीर तेजाजी के संघर्ष को जन-जन तक पहुंचाना चाहती हैं।
शोध केंद्र:
साल 2 साल और 6 माह का होगा डिप्लोमा:
- जेएनवीयू परिसर में शोध केंद्र की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं।
- शोध केंद्र द्वारा वीर तेजजी की जीवनी पर एक वर्ष, दो वर्ष और छह महीने की पाठ्यक्रमिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
- पर्यावरण, जन जागरूकता, सामाजिक कुरीतियां और विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास सहित कई किताबें शामिल की जाएंगी।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस:
- शोध केंद्र की स्थापना के बाद, इसके आगामी छात्रों के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया जाएगा।
- इसमें देश-विदेश के छात्रों के साथ-साथ विशेषज्ञों को भी निमंत्रण दिया जाएगा।
- इसमें कौशल प्रशिक्षण और सेमिनार भी शामिल होंगे।
पाठ्यक्रम:
- शोध केंद्र की मंजूरी के बाद, पाठ्यक्रम की सामग्री इकट्ठा की जा रही है। हालांकि, वीर तेजाजी पर पहले से ही अकादमी में जीवनी से जुड़ी रोचक किताबें मौजूद हैं, जिन्हें शोध केंद्र में संग्रहीत किया जाएगा।
- सभी किताबों का सही ढंग से डॉक्यूमेंटेशन किया जाएगा और उनके पाठ्यक्रम में सही तरीके से व्यवस्थित किया जाएगा।
इस प्रकार, जोधपुर में लोक देवता वीर तेजाजी के नाम पर शोध केंद्र की स्थापना एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से युवा पीढ़ी को वीर तेजाजी के संघर्ष का ज्ञान मिलेगा और उन्हें एक नई दिशा प्राप्त होगी।
शोध केंद्र द्वारा प्रदान किए जाने वाले पाठ्यक्रम, कॉन्फ्रेंस और सेमिनार छात्रों के सामरिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।