सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टाइप-1 डायबिटीज सेंटर 

सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टाइप-1 डायबिटीज राजस्थान में डायबिटीज मधुमेह की बीमारी से  ग्रसित बच्चों के लिए राजस्थान सरकार द्वारा ‘सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टाइप वन डायबिटीज’ सेंटर खोला जायेगा। 

RUHS सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टाइप-1 डायबिटीज सेंटर में मधुमेह की बीमारी से पीड़ित बच्चों  के लिए जांच तथा इलाज की सुविधा पूर्णता नि:शुल्क रहेगी।

इस सेंटर में जांच व इलाज हेतु आने वाले हर उम्र के बच्चों का पूर्ण विवरण कलेक्ट करने में आसानी रहेगी।

बच्चों में हो रही डायबिटीज की बीमारी को किस प्रकार नियंत्रित करें इस संबंध में बच्चे के माता-पिता को भी प्रशिक्षण दिया जाएगा ताकि गंभीर स्थिति में हॉस्पिटल नजदीक नहीं होने पर या समय पर नहीं पहुंचने पर वह अपने स्तर पर उस स्थिति को काबू कर सकें।

center of excellence for type 1 diabetes

राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय, डेनमार्क और ब्रिटिश हाईकमिशन के बीच समझौता होने के पश्चात सेंटर फॉर एक्सीलेंस फॉर टाइप-1 डायबिटीज खोलने का मार्ग और भी सुगम हो गया है।

डेनमार्क और ब्रिटिश हाई कमिशन की मदद से राज्य के डॉक्टर डायबिटीज के इलाज की उच्चतम दवा, जांच तथा इलाज की आधुनिक विधि सीखने के लिए विदेश जा सकेंगे तथा वह एक दूसरे के साथ दवा, जांच तथा इलाज के संबंध में विचार सांझा कर सकेंगे।

दिनांक 29 मई 2023 को आर यू एच एस के कुलपति डॉ सुधीर भंडारी समेत अनेक डॉक्टर के साथ मीटिंग की जाएगी जिसमें दिल्ली के बच्चों में फैल रही डायबिटीज/ मधुमेह की बीमारी तथा उसकी दवा, जांच व इलाज के बारे में विचार विमर्श किया जाएगा ताकि इस बीमारी को बच्चों में और अधिक फैलने से रोका जा सके।

राजस्थान के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा बच्चों में टाइप 1 डायबिटीज के बढ़ते खतरे को देखते हुए विशेष रुप से ध्यान दिया जा रहा है।

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टाइप वन डायबिटीज क्या है?

बच्चों में टाइप वन डायबिटीज बीमारी होने से अग्नाशय हार्मोन  बनाता है लेकिन टाइप वन डायबिटीज में हार्मोन इंसुलिन बनाना  कम या बंद कर देता है इसका कोई इलाज नहीं है लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है

टाइप वन डायबिटीज के लक्षण क्या है?

अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, उल्टी आना, सुस्ती और नींद आना आदि

टाइप वन डायबिटीज बीमारी से क्या खतरा है?

इस बीमारी से दिल, दिमाग, किडनी और आंखों पर असर पड़ता है तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से हाई ब्लड प्रेशर हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बना रहता है