राजीव गांधी जल संचय योजना के तहत राजस्थान सरकार प्रदेश की जल संग्रहण क्षमता को बढ़ाने के साथ साथ भू जल स्तर में बढ़ोतरी करने के लिए कार्य कर रही है।
इस योजना के तहत तक़रीबन 2600 करोड़ राशि का व्यय करके 349 पंचायत समितियों के 4600 गांव में करीब दो लाख जल संग्रहण तथा उनके देखरेख का काम शुरू किया जायेगा ।
राजस्थान देश का 3.5 करोड़ हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैला सबसे बड़ा राज्य है।
राजस्थान में तकरीबन 169 लाख हेक्टेयर भूमि ही खेती करने योग्य है। बाकी लगभग 100 लाख हेक्टेयर भूमि खेती करने योग्य नहीं है अर्थात बंजर है।
राज्य में खेती हेतु जितने जल की आवश्यकता होती है। उतना जल उपलब्ध नहीं हो पाता। जिससे किसानों को खेती के समय काफी समस्या होती है। उन्हें उनके मेहनत के अनुरूप फसल का लाभ नहीं मिल पाता है।
राज्य में किसानों के पास जल संग्रह करने का साधन नहीं होता है जिसके कारण अधिक वर्षा होने पर अतिरिक्त जल व्यर्थ बह जाता है इसी कारण प्रदेश में भूजल का स्तर कम हो रहा है तथा भूमि बंजर हो रही है।
राजीव गांधी जल संचय योजना की विशेषताएं:-
- यह योजना भौगोलिक सूचना तंत्र (Geographic information system) तथा दूर संवेदी तकनीकी का उपयोग करते हुए वैज्ञानिक तरीके से विकसित की जाएगी।
- राजीव गांधी जल संचय योजना के माध्यम से चिन्हित किए गए कार्यों का जिला स्तर तथा राज्य स्तर पर जीआईएस तथा रिमोट सेंसिंग तथा उपग्रह से प्राप्त छाया चित्रों की सहायता से निरीक्षण किया जाएगा।
- जीआईएफ रिमोट सेंसिंग पर आधारित थेमेटिक नक्शों के प्रयोग से कार्य स्थलों को अंकित करके तथा कार्यों की जांच करके उन्हें RGJSY मोबाइल ऐप के माध्यम से टेग किया जाएगा।
- इस योजना को शुरू करने से पहले मोबाइल एप के द्वारा योजना के लिए तय किए गए क्षेत्र का निरीक्षण किया जाएगा तथा उस क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सभी ट्यूबवेलो, जल सरंक्षण ढांचे तथा हेड पंप आदि को टेग किया जाएगा।
योजनाकर्ता का अधिकार:-
- राजीव गांधी जल संचय योजना में योजनाकर्ता पूरे गांव को उसके समस्त कार्यों के साथ तथा गांव के समूह को गोद ले सकता है। तथा विभाग द्वारा तकनीकी सहायता लेकर अपने अनुसार कार्य करवा सकता है।
- इस योजना में किए जाने वाले कार्यों की सूची कलेक्टर के पास उपलब्ध रहेगी। जिसके आधार पर गैर आवासीय ग्रामीण, धार्मिक संस्थाएं, स्वयंसेवी संस्थाएं तथा आमजन आदि इस सूची में से अपनी सुविधा के अनुसार एवं अपनी रूचि के अनुसार कार्य का चयन कर सकते है।
- योजनाकर्ता इस योजना के अनुसार होने वाले समस्त कार्यों को अपने स्तर पर विभाग के द्वारा शुरु करवा सकेंगे
सरकार द्वारा योजना में ग्रामीण सहयोग हेतु आह्वान:-
- इस योजना में ग्रामवासी होने वाले कार्यों की देख-रेख संबंधी जिम्मेदारी ले सकते है।
- इस योजना में ग्रामवासी धन, मिट्टी, बजरी, जेसीबी, सीमेंट आदि का दान देकर इस योजना में अपना सहयोग दे सकते है।
- योजना के प्रभावी क्रियान्वन के लिए ग्रामीण सहयोग बहुत आवश्यक है।
राजीव गांधी जल संचय योजना का उद्देश्य:-
- इस योजना के माध्यम से प्रदेश के प्रत्येक क्षेत्र को घने वृक्षारोपण के लिए प्रेरित करना।
- व्यर्थ में बह रहे वर्षा के अतिरिक्त जल को संग्रह कर उसे खेती में वृद्धि करने के उपयोग में लाना।
- नागरिकों को जल को संरक्षण करने के प्रति जागरूक करना।
- इस योजना के माध्यम से जल संबंधी उपकरणों को विकसित करना। नए जल उपकरणों का निर्माण करना तथा जल संरक्षण संबंधी कार्यों को प्रभावी रूप से शुरू करना।
- गांव में विद्यमान जल की कमी को दूर करके वहां पेयजल उपलब्ध करवाना।
- भूमि ने उपलब्ध जल के स्तर को गिरने से बचाना।
राजीव गांधी जल संचय योजना का प्रबन्धन:-
- ग्राम पंचायत स्तरीय समिति के माध्यम से योजना का प्रचार किया जाएगा।
- उपखंड अधिकारी ब्लॉक स्तरीय समिति की अध्यक्षता करेगा।
- जिला कलेक्टर जिला स्तरीय समिति की अध्यक्षता करेगा।
- मुख्य सचिव राज्य स्तरीय समिति की अध्यक्षता करेगा।
योजना के अंतर्गत किए जाने वाले कार्य:-
- इस योजना के तहत वृक्षारोपण उद्यान एवं चारागाह के विकास संबंधी कार्य किए जाएंगे।
- जल को संग्रहण करने के क्षेत्र में फार्म पॉन्ड, मिनी परकोलेशन टैंक, गली प्लग, लूज स्टोन चेक डैम, सनकन पॉन्ड, तालाब, गेबीयन, ड्राईस्टोन मेसोनरी पौंड आदि का निर्माण किया जाएगा।
- सूक्ष्म सिंचाई के लिए ड्रिप, पाइप लाइन एवं स्प्रिंकलर लगाए जाएंगे।
- भूजल को नापने के लिए पीजों मीटर लगाए जाएंगे।
राजीव गांधी जल संचय योजना के अंतर्गत अतिरिक्त कार्य
- नदियों को विभिन्न गांव तक पहुंचाना।
- सूख चुकी नदियों को पुनः जीवित किया जाना।
- अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाना।
- खेतों में फसलों के विकास के लिए जैविक खाद का उपयोग करना।
- जलाशयों को उसके नियमित स्थान तक पहुंचने में जिन अतिक्रमणो का सामना करना पड़ता है उन अतिक्रमणो को हटाना आदि किए जाने है।
द्वितीय चरण की प्रमुख विशेषताएं
2023 में शुरू किए गए इस योजना के द्वितीय चरण में, 2 लाख जल संचयन और संरक्षण संबंधी कार्यों को 2600 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा। ये कार्य 4600 गांवों में किए जाएंगे जो 349 पंचायत समितियों के अंतर्गत आते हैं। इस चरण में विशेष ध्यान ग्रामीण इलाकों में जल संरक्षण के प्रयासों पर दिया जा रहा है।
जल संरक्षण की तकनीकी और सामुदायिक भागीदारी
योजना के तहत, भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) और दूरसंवेदी तकनीकों का उपयोग करके जल संचयन स्थलों की पहचान की जाती है। यह तकनीक न केवल सटीकता प्रदान करती है बल्कि यह समय और संसाधनों की बचत भी करती है। स्थानीय समुदायों को इस प्रक्रिया में सक्रिय रूप से शामिल किया जाता है, जिससे वे जल संरक्षण के महत्व को समझ सकें और अपने क्षेत्र में जल संरक्षण के प्रयासों में भागीदार बन सकें।
आगे की दिशा
राजीव गांधी जल संचय योजना न केवल राजस्थान की जल संबंधी समस्याओं का समाधान कर रही है, बल्कि यह योजना एक सतत और दीर्घकालिक जल संरक्षण की दिशा में भी कदम बढ़ा रही है। यह योजना अन्य राज्यों के लिए भी एक मॉडल के रूप में कार्य कर सकती है, जो जल संकट से जूझ रहे हैं।
राजस्थान सरकार द्वारा इस पहल के माध्यम से न केवल पर्यावरण संरक्षण में योगदान दिया जा रहा है, बल्कि यह योजना समुदायों को सशक्त भी बना रही है, जिससे वे अपने स्थानीय पर्यावरण को बेहतर बनाने में योगदान दे सकें।